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हार्ट के माइट्रल वॉल्व से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे तीन अलग-अलग राज्यों के मरीजों को यहां जयपुर में राहत मिली।
हार्ट के माइट्रल वॉल्व से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे तीन अलग-अलग राज्यों के मरीजों को यहां जयपुर में राहत मिली। माइट्रल वॉल्व की सिकुड़न और लीकेज की समस्या के कारण पिछले एक साल से मरीजों का थोड़ा बहुत चलना तो दूर, चैन से सोना भी संभव नहीं हो पा रहा था
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प्रख्यात इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीन शर्मा के निर्देशन में स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज डायरेक्टर एक्सपर्ट डॉ. प्रशांत द्विवेदी और एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रेम रतन डेगावात ने ये सफल केस किए।
डॉ. प्रशांत द्विवेदी ने बताया कि हैदराबाद से 77 वर्षीय मरीज ने 1 साल पहले ही माइट्रल वॉल्व रिपेयर और बाईपास सर्जरी करवाई थी। रिपेयर प्रोसीजर में उनके सिकुड़े वॉल्व में एक रिंग इंप्लांट की गई थी जो ऑपरेशन के तीन महीने बाद ही फेल हो गई थी। ऐसे में उन्हें कुछ मीटर चलने में सांस फूलना, सोते वक्त सांस लेने में कठिनाई होना जैसे लक्षण होने लगे थे। ज्यादा उम्र होने के कारण दोबारा सर्जरी में जोखिम था। मरीज ने पिछले छह महीने में अलग-अलग हॉस्पिटल में इसके इलाज के लिए संपर्क किया लेकिन इलाज के दौरान जान के खतरे के कारण उन्हें सभी जगह मना कर दिया गया। ऐसे में डॉ. प्रशांत ने इस केस को देखा और बिना चीर फाड़ के टीएमवीआर इन रिंग प्रोसीजर कर वॉल्व ठीक किया। प्रोसीजर के तीन दिन बाद ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और अब वे 2 से 3 किलोमीटर बिना किसी समस्या के पैदल चल पा रहे हैं। देश में अब तक टीएमवीआर इन रिंग के छह से सात ही प्रोसीजर हुए हैं जिनमें से तीन इटर्नल हॉस्पिटल में हुए। हैदराबाद के अलावा पंजाब और उत्तर प्रदेश से दो महिलाएं जिनकी उम्र 82 और 72 वर्ष थी, उनका भी इलाज किया गया। उन्हें चलने में सांस फूलना, पैरों में सूजन, सोने में कठिनाई और जल्दी थकान होने जैसे लक्षण दिख रहे थे। दोनों मरीजों को किडनी की बीमारी भी थी। जब अस्पताल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ हेमंत चतुर्वेदी ने उनकी इको टीईई जांच की तो उनके माइट्रल वॉल्व में लीकेज की समस्या सामने आई। डॉ. प्रेम रतन डेगावत ने बताया कि दोनों मरीजों को नॉन सर्जिकल प्रोसीजर द्वारा माइट्रा क्लिप लगाकर लीकेज को कम किया गया। प्रोसीजर के अगले ही दिन मरीजों को लक्षणों में काफी राहत मिली और तीसरे दिन डिस्चार्ज कर दिया गया। इन तीनों प्रोसीजर में अस्पताल के कार्डियक साइंस विभाग के चेयरमैन डॉ. अजीत बाना और चेयरमैन कार्डियक एनीस्थिटिस्ट डॉ नवनीत मेहता का विशेष सहयोग रहा। इस मौके पर को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने कहा कि विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुभवी विशेषज्ञों के उपलब्ध होने पर ही इस तरह के अत्याधुनिक और हाई रिस्क प्रोसीजर एक ही दिन में किया जा सकते हैं।
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