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रांची से अलकायदा कनेक्शन का कनेक्शन जुड़े होने पर झारखंड एटीएस, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी की। रांची में एक चिकित्सक डॉ. इश्तियाक को पकड़ा गया। पेशे से चिकित्सक (रेडियोलॉजिस्ट) डॉ. इश्तियाक एक्यूआईएस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। उसे सीमा पार से भारत को दहलाने के निर्देश मिले थे। दिल्ली समेत करीब चार राज्यों में दर्जनभर शहरों को दहलाने की तैयारी चल रही थी। मॉड्यूल का सरगना इश्तियाक इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने में जुटा था। संदिग्धों से हुई पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ।
तफ्तीश में यह पता चला कि यह मॉड्यूल अब तक दिल्ली से यूपी, झारखंड, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर तक करीब दर्जनभर जगहों की रेकी कर चुका था, जबकि अन्य जगहों की रेकी की तैयारी चल रही थी। दबोचे गए संदिग्ध अलग-अलग जगहों का दौरा भी कर रहे थे। संदिग्धों के पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद होने से यह साफ हो गया कि वे वारदात को अंजाम देने के लिए इसकी व्यवस्था में जुटे थे।
अलकायदा इन इंडियन सब-कांटिनेंट (एक्यूआईएस) के झारखंड मॉड्यूल का गठन अब्दुल रहमान कटकी ने किया था। साल 2010 के बाद कटकी ने झारखंड के जमशेदपुर, रांची, लोहरदगा और हजारीबाग समेत कई शहरों का दौरा किया था। इन शहरों में तकरीर के जरिए वह लोगों को प्रभावित करता था। इसके बाद रेडिक्लाइज कर उसने सैकड़ों लोगों को स्लीपर सेल से जोड़ा था।
18 जनवरी 2016 को कटकी को पहली बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेवात से गिरफ्तार किया था। कटकी की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ था कि झारखंड के कई बच्चों को वह कटक भी ले गया था, जहां धार्मिक पाठ के बहाने जिहाद के लिए उकसाया जाता था।
कटकी के बारे में जांच एजेंसियों ने कहा था कि जमशेदपुर, लोहरदगा और गुमला के ग्यारह युवकों को प्रशिक्षण दे चुका है। युवकों को कटकी ओडिशा के कटक जिले के जगतपुर के कच्छ गांव स्थित अपने मदरसे में ले गया था। वहां अलकायदा के भारत प्रमुख आसिफ से संपर्क कराया था। आसिफ के माध्यम से ये पाकिस्तान के मनसेरा भी गए थे।
कटकी ताहिर अली का करीबी था
कटकी उस ताहिर अली का करीबी था, जिसे पुलिस ने वर्ष 2002 में कोलकाता स्थित अमेरिकन कल्चर सेंटर में आतंकी हमले के बाद गिरफ्तार किया गया था। ताहिर का संपर्क मौलाना आसिम उमर से था, जो आसिफ से जुड़ा हुआ था। वर्तमान में यह केस जमशेदपुर की अदालत एडीजे वन में गवाही की प्रक्रिया में है। 21 अगस्त को इस मामले में गवाही थी, लेकिन भारत बंद के चलते गवाह प्रस्तुत नहीं हो सके। केस की अगली तिथि 28 अगस्त को निर्धारित की गई है। इस मामले में मौलाना कलीम और नसीम जेल से जमानत पर बाहर हैं। अबतक आठ गवाही हो चुकी है।
चतरा का अबू सुफियान अब तक फरार
चतरा का रहने वाला अबू सुफियान अब तक फरार है। बताया जाता है अलकायदा के प्रशिक्षण शिविर में जाने के बाद पता नहीं चला। इसके अलावा डॉ. सबील और अब्दुल रहमान कटकी का जमशेदपुर से जुड़ाव रहा। इनके पाकिस्तान, ईरान और तुर्की से चलनेवाले आतंकी संगठनों के प्रमुख लोगों से संपर्क हैं।
झारखंड से ये थे रिक्रूटमेंट सेल के संचालक
झारखंड निवासी जीशान अली, सैयद मो. अर्शियान, मो. सामी (तीनों जमशेदपुर), अबु सूफियान (चतरा), मो. कलीमुद्दीन मूल निवासी रड़गांव और वर्तमान पता आजाद बस्ती रोड नंबर 12 मानगो, जमशेदपुर रिक्रूटमेंट सेल का संचालक और प्रेरक थे। हालांकि, बाद में कमलीमुद्दीन को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से राहत मिल गई थी।
आगे क्या पुलिस अब क्या पता लगा रही
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इसमें से कौन-कौन से लोग हथियार और गोला-बारूद एकत्र कर रहे थे? कहां से एकत्र कर रहे थे? कौन इन्हें हथियार और विस्फोटक मुहैया करा रहा था? और कौन-कौन से लोग रेकी करने में जुटे थे। इसके अलावा स्पेशल सेल यह भी पता कर रही है कि इश्तियाक सीमा पार से किसके संपर्क में था? इश्तियाक अब तक किन-किन घटनाओं में संलिप्त रहा और किन-किन घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में था।
पहले भी झारखंड से जुड़े तार
1. पहली बार साल 2007 में एर्नाकुलम ब्लास्ट की जांच में रांची के बरियातू के मंजर इमाम और दानिश रिजवान का नाम आया था। दोनों इस केस में सजा काट अब जेल से बाहर आ चुके हैं। सिमी से इनके जुड़ाव का दावा एजेंसियों ने किया था।
2. अहमदाबाद में साल 2008 में ब्लास्ट में भी दानिश और मंजर का नाम सामने आया था। हालांकि, दोनों के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले थे। साल 2011 में दोनों की गिरफ्तारी हुई थी।
3. साल 2013 में अक्टूबर में नरेंद्र मोदी की सभा में ब्लास्ट के बाद इंडियन मुजाहिदीन पर एनआईए ने शिकंजा कसा था। इस केस में आईएम के रांची मॉड्यूल का खुलासा हुआ था। जांच में गया के महाबोधी मंदिर ब्लास्ट में भी रांची के आतंकियों की संलिप्तता सामने आई थी। इस केस में रांची के इम्तियाज अहमद समेत सीठियों के चार लोगों के अलावा, हैदर उर्फ ब्लैक ब्यूटी, मुजीबुल्लाह समेत अन्य आतंकियों को उम्रकैद की सजा हुई थी। रांची में स्लीपर सेल के द्वारा ही तब भटकल बंधुओं को भी ठहराने का खुलासा एजेंसियों ने किया था।
4. पटना और महाबोधी मंदिर ब्लास्ट की साजिश रांची के आतंकियों ने हिंदपीढ़ी इलाके के इरम लॉज में रची थी। यहां से देश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लास्ट की योजना से जुड़े साक्ष्य भी एजेंसियों को मिले थे।
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