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क्या पति से घर के काम करवाना, भाई की शादी में नहीं जाना और समय पर खाना नहीं बनाना जैसे मामूली घरेलू मामले किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए वाकई सही और ठोस आधार हैं? मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एक हालिया मामले में इसको लेकर बेहद अहम फैसला देते हुए आरोपी पत्नी को बरी कर दिया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस हिरदेश ने अपने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोपी पत्नी संगीता को रिहा कर दिया। हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए इस मामलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने या उकसाने के ठोस सबूतों की जरूरत पर भी प्रकाश डाला।
पति को पत्नी से अप्राकृतिक सेक्स के लिए क्यों दोषी नहीं ठहराया जा सकता? हाईकोर्ट ने बताई वजह
हाईकोर्ट ने खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पत्नी (याचिकाकर्ता) के खिलाफ लगाए गए आरोप, जैसे अपने पति से घर के काम कराना, टाइम पर खाना नहीं बनाना और अपने भाई की शादी में नहीं जाना मामूली घरेलू झगड़े हैं। ऐसे मुद्दे आईपीसी की धारा 107 के तहत परिभाषित उकसाने की सीमा को पूरा नहीं करते। ऐसे मामलों में आत्महत्या के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृत्यों या उकसावे का सबूत होना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि संगीता के खिलाफ अपने पति को खुदकुशी करने के लिए उकसाने के लिए जरूरी मानसिक कारण होने का कोई सबूत नहीं है। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि हर घर में होने वाली सामान्य घरेलू किचकिच और असहमति को खुदकुशी के लिए उकसाने के बराबर नहीं माना जा सकता। इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपी पत्नी संगीता द्वारा पति को खुदकुशी के लिए उकसाने के किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृत्य का ठोस और पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रहा।
निचली अदालत ने तय किए थे आरोप
मध्य प्रदेश के धार जिले की ट्रायल कोर्ट ने पत्नी संगीता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत अपने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 3 अप्रैल, 2024 को आरोप तय किए थे। इसके बाद आरोपी महिला ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि संगीता अपने पति को परेशान करती थी, उसे घर के काम करने के लिए मजबूर करती थी। इसके कारण 27 दिसंबर, 2023 को उसने आत्महत्या कर ली। शुरुआती बयान दर्ज होने के बाद 16 जनवरी 2024 को संगीता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
वहीं, संगीता के वकील ने तर्क दिया कि घटना से पहले उनके मृतक पति द्वारा किसी भी तरह की शिकायत या प्रताड़ित करने के आरोप का कोई सबूत नहीं है। इसके अलावा सुसाइड नोट या मौत से बयान की गैरमौजूदगी ने अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर किया।
बचाव पक्ष ने कहा कि संगीता केवल अपने वैवाहिक कर्तव्यों का पालन कर रही थी। उसका अपने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई इरादा नहीं था। वहीं, दूसरी ओर अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि संगीता के उत्पीड़न के कारण उसके पति ने आत्महत्या की, जिससे आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप उचित साबित होते हैं।
जस्टिस हिरदेश ने धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे और आईपीसी की धारा 107 के तहत इसकी व्याख्या की जांच की जो उकसाने को परिभाषित करती है। अदालत ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि धारा 306 के तहत दोषसिद्धि के लिए आत्महत्या करने में उकसाने षड्यंत्र या जानबूझकर सहायता का स्पष्ट सबूत होना चाहिए। इस प्रकार हाईकोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया और संगीता को आरोपों से मुक्त कर दिया।
2 साल पहले हुई थी शादी
संगीता और उसके पति की शादी 27 अप्रैल 2022 को हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी। दंपती की एक बेटी भी है। संगीता सरकारी स्कूल में टीचर है और उनका पति मजदूर है, जो धार के राजगढ़ में किराये के मकान में रहते हैं।
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