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चंडीगढ़ में नेट परीक्षा न देने वाले शिक्षकों को इक्रीमेंट नहीं मिला रहा है। इस कारण शिक्षक नाराज चल रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग से इंक्रीमेंट लेने के लिए 14 शिक्षकों ने 2015 में इंक्रीमेंट के लिए आवेदन किया था।
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जिसे लेकर परीक्षा न देने वाले परीक्षार्थी को पहले भी कई बार इक्रीमेंट दे चुका है। शिक्षकों की मांग है कि एक ही शहर में दो नियम नहीं होने होने चाहिए, बल्कि शहर के सात निजी कालेजों के शिक्षकों ने केंद्रीय पैटर्न के यूजीसी विनियमों के हस्तक्षेप की कार्यान्वयन के अनुसार संबंध में गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है। इस संबंध में पत्र भी लिखा गया है। पत्र के माध्यम से उन्हें सरकारी सहायता प्राप्त निजी उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षण कर्मचारियों के सामने यूजीसी नियमों के कार्यान्वयन न होने के कारण चल रही पैदा हो रही समस्याओं के समाधान की मांग की है।
14 शिक्षकों का मामला लटका
उच्च शिक्षा विभाग के पास 2015 से शहर के प्राइवेट कालेजों के 14 शिक्षकों का यह मामला लटका है। विभाग का कहना है कि यूजीसी नेट क्लीयर करने वाले शिक्षकों को ही इक्रीमेंट का फायदा मिलता है। सेक्टर-10 स्थित डीएवी कालेज के प्रोफेसर डा. आशीष कपूर का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग को मामला लटकाना नहीं चाहिए। विभाग के पास पीएचडी होल्डर का इंक्रीमेंट का मामला कई सालों से लटका है।
नहीं हुई बैठक
शिक्षकों के मुताबिक यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार नेट करने वाले और पीएचडी होल्डर इंक्रीमेंट का फायदा उठा सकते हैं। प्रशासन की ओर से इस संबंध मे कमेटी का गठन भी किया गया था, लेकिन इसकी बैठक 2015 के बाद नहीं हुई। शहर के सरकारी और निजी कालेजों में सैकड़ों ऐसे शिक्षक होंगे जो पीएचडी होल्डर होंगे और जिन्होंने नेट परीक्षा नहीं दी होगी। जब 2015 में कमेटी की बैठक हुई थी तो उसमें जल्द समाधान करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
गृह मंत्री ने की थी घोषणा
केंद्रीय पैटर्न के अनुसार, शिक्षकों ने कहा कि 29 मार्च 2022 को गृह मंत्री ने चंडीगढ़ यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि केंद्रीय सेवा नियम 1 अप्रैल, 2022 से चंडीगढ़ के सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे। गृह मंत्रालय द्वारा 29 मार्च, 2022 को केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ कर्मचारी सेवा की शर्तें और नियम 2022 से नई अधिसूचना जारी की गई। इस नई अधिसूचना के जारी होने के बावजूद यूटी में सरकारी सहायता प्राप्त निजी कॉलेजों के शिक्षण कर्मचारी लगभग दो साल बाद भी इसके कार्यान्वयन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यूजीसी और केंद्रीय नियमों के अनुसार कोई भत्ता और लाभ नहीं दिया गया है। शिक्षकों ने अनुरोध किया है कि उनकी मांग पर गौर कर जल्दी समाधान किया जाए।
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