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नेशनल बुक ट्रस्ट के परिसर में सोमवार (1 जुलाई) को आयोजित तीन नए क्रिमिनल लॉ पर वर्कशॉप की तस्वीर।
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया ने सोमवार (1 जुलाई) को दिल्ली स्थित अपने ऑफिस में तीन नए क्रिमिनल कानूनों पर वर्कशॉप का आयोजन करवाया। इसमें कानूनी विशेषज्ञों ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बार
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इस मौके पर नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया के डायरेक्टर युवराज मलिक ने कहा कि नए आपराधिक कानून में दंड से न्याय की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है। उन्होंने वर्कशॉप के उद्देश्य पर बात करते हुए कहा कि देश संविधान से चलता है। नागरिक ही देश और समाज को बनाते हैं।
युवराज मलिक ने कहा, ‘हमें अपने अधिकार और कर्तव्य पता होने चाहिए। आपको देश के संविधान और उस कानून के बारे में जानकारी हो, यह आपका और हमारा दोनों का कर्तव्य है। अपने अधिकारों को जानने के लिए कानून का जानना बहुत जरूरी है।’
वर्कशॉप में पुराने और नए कानून के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया। बताया गया कि किस तरह भारतीय दंड संहिता 1870 को भारतीय न्याय संहिता 2023 में बदल दिया गया है।
यह भी बताया गया कि किस तरह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 पहले के कानून आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 से बेहतर और कारगर है। कार्यशाला में भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर आए भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के मुख्य बिंदुओं पर भी चर्चा की गई।
देश में 1 जुलाई से 3 नए कानून लागू
देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों की जगह 3 नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू हो गए हैं। इन्हें IPC (1860), CrPC (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह लाया गया है।
कानूनों के लागू होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया को इन कानूनों की जानकारी दी। शाह ने कहा कि आजादी के 77 साल बाद क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम अब पूरी तरह से स्वदेशी हो गया है।अब दंड की जगह न्याय मिलेगा। मामलों में देरी की जगह स्पीडी ट्रायल होगा। साथ ही सबसे आधुनिक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनेगा। पूरी खबर पढ़ें…
ये हैं सबसे बड़े बदलाव
- नए कानूनों के अनुसार आपराधिक मामलों में फैसला सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर आना चाहिए और पहली सुनवाई के 60 दिनों अंदर आरोप तय किए जाने चाहिए।
- बलात्कार पीड़ितों का बयान एक महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी। इन केसों में मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के अंदर आनी चाहिए।
- ऑर्गनाइज्ड क्राइम और आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लिखा-पढ़ा जाएगा। सभी तलाशी और जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी होगी।
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नए क्रिमिनल कानूनों को जानिए- शादीशुदा महिला को फुसलाने पर जेल, मर्डर पर 302 नहीं, धारा 101 लगेगी
1 जुलाई से देशभर में तीन नए क्रिमिनल कानून लागू होने से ये बदलाव हुए हैं। अब मर्डर करने पर धारा 302 नहीं, 101 लगेगी। धोखाधड़ी के लिए फेमस धारा 420 अब 318 हो गई है। रेप की धारा 375 नहीं, अब 63 है। शादीशुदा महिला को फुसलाना अब अपराध है, जबकि जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध अब अपराध की कैटेगरी में नहीं आएगा। पूरी खबर पढ़ें…
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