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आश्रम के गेट पर तैनात बाबा के गार्ड
– फोटो : संवाद
1999 में भोले बाबा ने पटियाली के बहादुर नगर में अपना आश्रम बनाया था, लेकिन पिछले 10-12 वर्षों से उनका आश्रम में प्रवास नहीं हुआ है। पिछले वर्ष वह ट्रस्ट की रजिस्ट्री के कार्य से कुछ देर के लिए पटियाली के रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे थे, लेकिन आश्रम में प्रवास नहीं किया। आश्रम सेवादारों के हवाले है और उनका महल भी सेवादारों की सुरक्षा में है।
भोले बाबा के भक्त पटियाली के आश्रम पर नियमित आते हैं और मत्था टेक कर मिट्टी और आश्रम के नलों का पानी ले जाते हैं। बाबा की उपस्थिति होना जरूरी नहीं है, लेकिन भक्तों की आश्रम में पहुंचने को लेकर अटूट श्रद्धा रहती है।
30 बीघा में बने बाबा के आश्रम और उनके महल की सुरक्षा व्यवस्था आश्रम में तैनात सेवादार ही संभालते हैं। आश्रम का गेट खुलता है, लेकिन महल के गेट पर ताला ही नजर आता है। बहादुर नगर के ब्रजपाल सिंह बताते हैं कि भोले बाबा करीब 12 वर्षों से यहां नहीं पहुंचे हैं।
पिछले वर्ष वह ट्रस्ट की रजिस्ट्री के लिए आए थे, लेकिन आश्रम में नहीं रुक। दूसरे ग्रामीण रामसिंह का कहना है कि 10 से बाबा का आगमन नहीं हुआ है। सेवादार ही आश्रम की व्यवस्थाओं की देखरेख करते हैं। सेवादारों का प्रवास भी आश्रम में होता है। वहीं पर उनका खाना बनता है।
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